बारिश के मौसम में होने वाले बीमारियों के नाम और उसका उपचार
दोस्तों ! बारिश का मौसम तो शुरू होने चला है लेकिन ऐसे में एक बात तो ध्यान रखने वाली है कि भले ही इस मौसम में हम बेहद तरोताजा महसूस करते हैं पर साथ ही साथ यह बारिश हमारे लिए कई बीमारियां भी लेकर आती है। बारिश के मौसम में कई खतरनाक बीमारियां जन्म लेती है, जिससे बचने के लिए अपने सेहत एवं खानपान का खास ख्याल रखना पड़ता है। |
स्पेशलिस्ट का कहना है कि बारिश के दिनों में कीटाणुओं का जन्म होता है। इसी वजह से बीमारियां काफी तेजी से फैलती हैं। यहां हम आपको कुछ seasonal disease के नाम बताने वाले हैं, जिसके अंतर्गत हम बारिश में होने वाली बीमारियों के कारण लक्षण एवं बचाव के तरीके के बारे में भी बताएंगे। इसके साथ ही बारिश के मौसम में health tips for rainy season का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है, जिससे आप अपने सेहत का ख्याल भी रख सकते हैं और बीमारियों से भी बच सकते हैं।
बरसात के मौसम की बीमारियों के नाम और सावधानियां (Rainy season disease and precautions in Hindi)
बरसात के मौसम में कीटाणुओं एवं वायरस से कई बीमारियां जन्म लेती हैं। अपने एवं अपने बच्चों का ख्याल रखने के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि वह बीमारियां किन कारणों से होती हैं एवं उसके बचाव करने के क्या-क्या तरीके हो सकते हैं। इसकी संपूर्ण जानकारी के लिए नीचे दिए गए जानकारियों को जरूर पढ़ें -
1. मलेरिया (Malaria)
Malaria in Hindi
मलेरिया का कारण (causes of malaria):
मलेरिया के मुख्य निम्नलिखित कारण है-
- प्लॅस्मोडियम वीवेक्स नामक वाइरस मलेरिया का मुख्य कारण है।
- यह वायरस मादा मच्छर के काटने पर मनुष्य के रक्त प्रवाह में संचालित होता है।
- केवल वही मच्छर मलेरिया रोग के किसी दूसरे मनुष्य में संचारित कर सकता है, जिसने पहले कभी किसी मलेरिया रोगी को काटा हो।
मलेरिया के लक्षण (Symptoms of malaria) :
बारिश के मौसम में मलेरिया होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं-
- आमतौर पर मलेरिया रोग में कपकपी के साथ तेज बुखार आता है।
- सिर दर्द , शरीर दर्द भी मलेरिया रोग का लक्षण हैं।
- इसके अलावा मलेरिया रोग में उल्टी आना, जी मचलना, पसीना आना भी एक स्वाभाविक लक्षण हैं।
मलेरिया से बचाव के तरीके (Malaria Prevention):
मलेरिया से बचाव के घरेलू उपाय या तरीके निम्नलिखित हैं-
- मलेरिया से ग्रसित होने पर कोलोरोक्वीन नामक दवा लें। गंभीर मामलों में मरीज की जान भी जा सकती है।
- मच्छर के फैलाव को रोकने के लिए आसपास डीडीटी कीटनाशक का छिड़काव करवाएं।
- बारिश के मौसम में बारिश का पानी कहीं भी इक्ट्ठा न होने दें क्योंकि गंदे पानी में मच्छर अधिक पनपते हैं।
- घर पर मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- इसके साथ ही साथ सरसों का तेल एवं कपूर को जलाकर मच्छरों को भगा सकते हैं।
2. डेंगू (Dengue)
Dengue
डेंगू का कारण (causes of dengue) :
डेंगू के मुख्य कारण निम्नलिखित है-
- डेंगू का मुख्य कारण डीईएनवी वायरस है।
- डेंगू रोग एडिज मच्छरों द्वारा फैलता एवं संचारित होता है। डेंगू बुखार को डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं।
डेंगू के लक्षण (Symptoms of Dengue) :
बारिश के मौसम में डेंगू होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं-
- आमतौर पर डेंगू रोग में अत्यधिक तीव्र बुखार मांसपेशियों एवं जोड़ों में तीव्र दर्द होता है।
- कभी-कभी मरीज के शरीर में चेचक जैसे लाल थक्के पड़ जाते हैं।
- डेंगू रोग में मरीज के शरीर की त्वचा अधिक ठंडी पड़ जाती है।
डेंगू से बचाव के तरीके (Dengue Prevention):
- डेंगू के एडिज मच्छर साफ पानी में अधिक पनपते हैं, इसलिए अपने आसपास पानी को जमा न होने दें।
- घर के आसपास के क्षेत्रों में (डीईईटी) नामक कीटनाशक का छिड़काव करें।
- घर के अंदर मच्छर को भगाने के लिए मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे एवं कॉइल का इस्तेमाल करें।
- इससे बचने के लिए खिड़की और दरवाजे बंद कर के मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
3. चिकुनगुनिया
चिकनगुनिया का कारण (causes of chikungunya):
चिकनगुनिया के मुख्य कारण निम्नलिखित है-
- चिकनगुनिया एक वायरल इंफेक्शन है।
- आमतौर पर यह रोग इनफेक्टेड एडिस मच्छरों द्वारा संचालित होता है एवं यह बीमारी मनुष्य में मच्छरों द्वारा चिकुनगुनिया वायरस के कारण होती है।
चिकनगुनिया के लक्षण (Symptoms of Chikungunya):
बरसाती मौसम में चिकनगुनिया होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं-
- चिकनगुनिया के लक्षण बहुत ही साधारण है जैसे- अचानक बुखार आना, तेज सिर दर्द आदि।
- इसके अलावा मांसपेशियों का अकड़ना साथ ही साथ शरीर पर रैशेस होना भी इसके लक्षण है।
चिकनगुनिया से बचाव के तरीके (Chikungunya Prevention):
चिकनगुनिया से बचाव के घरेलू उपाय एवं तरीके निम्नलिखित है-
- चिकनगुनिया के मच्छर घर से ज्यादा बाहर काटते हैं। इसलिए घर से निकलते टाइम फुल शर्ट का प्रयोग करें।
- इसके साथ ही साथ सरसों के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- घर पर चिकनगुनिया के मच्छर के बचाव के लिए काला हिट का प्रयोग करें ।
- इस दौरान लहसुन की कच्ची कली का प्रयोग सर्वोत्तम है।
4. डायरिया (Diarrhoea)
डायरिया का कारण (causes of diarrhoea) :
डायरिया के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- डायरिया का मुख्य कारण वायरस और बैक्टीरिया होता है।
- आमतौर पर डायरिया दूषित पानी पीने एवं वायरल इंफेक्शन के द्वारा होता है।
डायरिया के लक्षण (Symptoms of Diarrhea) :
डायरिया रोग के लक्षण बहुत ही आसानी से पहचाने जा सकते है, जो निम्नलिखित हैं-
- पतला मल होना, पेट के नीचे दर्द होना आदि इसके स्वाभाविक लक्षण है।
- गंभीर स्थिति में मरीज के शरीर में खनिज लवण की अधिक कमी होने के कारण कामा उत्पन्न होता है, जो मरीज के लिए जानलेवा हो सकता है।
डायरिया से बचाव के तरीके (Diarrhea Prevention):
डायरिया से बचाव के घरेलू उपाय एवं तरीके निम्नलिखित है-
- डायरिया से ग्रसित मरीज के शरीर में पेयजल की कमी बिल्कुल ना होने दें।
- इसके लिए गीला चावल, केला, दही का अत्यधिक सेवन करें।
- डायरिया के बचाव के लिए बॉयल किया हुआ जल ग्रहण करें।
- आप चाहें तो नींबू पानी, ओ आर एस एवं शक्कर पानी का भी उपयोग कर सकते हैं।
5. हैजा (Cholera)
Cholera in Hindi
हैजा का कारण (causes of cholera) :
हैजा के मुख्य कारण निम्नलिखित है-
- विब्रियो कोलेरी नामक एक जीवाणु हैजा रोग का मुख्य कारण होता है।
- आमतौर पर यह दूषित पानी एवं दूषित भोजन के कारण होता है।
हैजा का लक्षण : (Symptoms of cholera):
बारिश के मौसम में हैजा होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं-
- आमतौर पर हैजा के लक्षण कुछ घंटों या कुछ दिनों में देखे जा सकते हैं, जैसे अधिक प्यास लगना, मांसपेशियों की ऐंठन, हृदय की गति तीव्र हो जाना अगर सही समय पर मरीज का इलाज ना हो तो यह उसकी मौत का कारण बन सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति बार-बार मल का स्राव करता है।
हैजा से बचाव के तरीके (cholera prevention):
हैजा से बचाव के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें -
- हैजा का टीकाकरण अवश्य करवाएं।
- हैजा से बचाव के लिए स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल करें एवं पेयजल को बॉयल करके पीएं।
- साथ ही साथ अपने हाथों को सुरक्षित रखें और कम से कम साबुन से 45 सेकंड तक अपने हाथों को धोएं।
6. टाइफाइड (Typhoid)
टाइफाइड के कारण (causes of typhoid) :
टाइफाइड के मुख्य कारण निम्नलिखित है-
- टाइफाइड का मुख्य कारण साल्मोनेला वायरस है ।
- यह एक संक्रामक रोग है।
- दूषित पानी एवं जूठे खाद्य पदार्थ को खाने के कारण साल्मोनेला वायरस हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है।
टाइफाइड के लक्षण (symptoms of typhoid) :
बारिश के मौसम में टाइफाइड होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं -
- टाइफाइड का मुख्य लक्षण तेज बुखार है।
- टाइफाइड से ग्रसित मरीज को शरीर में वेदना एवं कमजोरी का अनुभव होने लगता है।
- आमतौर पर टाइफाइड का बुखार 102 डिग्री से 104 डिग्री को पार कर जाता है।
टाइफाइड से बचाव के तरीके (typhoid prevention):
इसके बचाव करने के तरीके निम्नलिखित हैं -
- टाइफायड से जूझ रहे व्यक्ति को डॉक्टरों की सलाह के साथ अपने खाने पीने पर भी काफी ध्यान देना चाहिए।
- इसके साथ ही साथ बाहरी खाने से परहेज करना चाहिए।
- स्वच्छ पेय पदार्थ एवं उबला हुआ खाना टाइफाइड के मरीज के लिए सर्वोत्तम है।
7. वायरल फीवर (Viral fever)
वायरल फीवर का कारण (causes of viral fever):
वायरल फीवर के मुख्य कारण निम्नलिखित है-
- वायरल फीवर का मुख्य कारण अनेक प्रकार के वायरस हो सकते हैं।
- यह विशेषकर मौसम के बदलाव के कारण होता है।
- यह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में संक्रमित होता है।
वायरल फीवर के कुछ लक्षण (symptoms of viral fever):
बारिश के मौसम में वायरल फीवर होने से निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं-
- फीवर के लक्षण सामान्य तौर से होने वाले बुखार के लक्षण जैसे ही होते हैं।
- आमतौर पर सर्दी, खांसी, उल्टी, दस्त, जी मचलना इसके लक्षण है।
वायरल फीवर से बचाव के तरीके (viral fever prevention) :
वायरल फीवर के घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं -
- जो व्यक्ति वायरल फीवर से जूझ रहे हैं, उन्हें उबली हुई सब्जियों का सेवन करना जरूरी होता है।
- किसी भी इंसान को वायरल फीवर से जूझ रहे मरीज से दूरी बनानी चाहिए।
- वायरल फीवर से बचने के लिए विशेषकर बारिश के मौसम में भीगने से बचें।
8. पीलिया/जॉन्डिस (Jaundice)
जॉन्डिस का कारण (causes of jaundice) :
पीलिया जॉन्डिस के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं -
- मनुष्य के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के हिस्से टूटने से बिलीरुबिन का निर्माण होता है। इससे पीलिया या जोंडिस होता है।
- खानपान में बदलाव अथवा दूषित भोजन के कारण भी पीलिया हो सकता है।
पीलिया / जॉन्डिस के लक्षण (symptoms of jaundice):
इसके लक्षण निम्नलिखित हैं-
- पीलिया का मुख्य लक्षण शरीर की त्वचा का पीला पड़ जाना है, और साथ ही साथ आंखों का सफेद भाग भी पीला पड़ जाता है।
- पीलिया से ग्रसित मरीज को तेज बुखार, मूत्र गाढ़ा पीला हो जाना, अत्यधिक थकान महसूस होना इसके स्वाभाविक लक्षण है।
- इस बीमारी में रोगी को शरीर पीला हो जाता है जिसका मतलब है कि आंखों का सफेद हिस्सा पीला दिखने लगता है।
पीलिया जॉन्डिस से बचाव के तरीके ( jaundice prevention) :
जॉन्डिस से बचाव के घरेलू उपाय एवं निम्नलिखित तरीके -
- जॉन्डिस से ग्रसित होने पर अधिक से अधिक ठंडे पेय पदार्थ जैसे नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।
- मूली का सेवन एवं मूली के पत्तों का रस ग्रहण करें।
- इसके साथ ही साथ जॉन्डिस से ग्रसित मरीज से दूरी बनाए रखें।
9. लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis)
Leptospirosis
लेप्टोस्पायरोसिस का कारण (causes of leptospirosis) :
लेप्टोस्पायरोसिस के मुख्य कारण निम्नलिखित है -
- लेप्टोस्पायरोसिस नामक रोग लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से होता है।
- यह वायरस संक्रमित जानवरों के मूत्र में पाया जाता है। इसलिए यह रोग जानवरों द्वारा मनुष्य में फैलता है।
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण (symptoms of leptospirosis):
इसके लक्षण कुछ इस तरह से हैं -
- आमतौर पर इसके लक्षण आंखों का जलना आंखों के नीचे लाल हो जाना है।
- इसके साथ ही साथ पीठ के नीचे दर्द होना और तेज बुखार का आना इसके स्वाभाविक लक्षण है।
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के तरीके (leptospirosis prevention) :
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के घरेलू तरीके एवं उपाय निम्नलिखित हैं-
- लेप्टोस्पायरोसिस से ग्रसित मरीज को सर्वोत्तम चिकित्सालय में डायलिसिस एवं एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करना प्रमुखता है।
- शरीर में पोटेशियम की मात्रा अधिक हो जाने के उपाय करने चाहिए।
10. हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A)
Hepatitis disease Rainy season
हेपेटाइटिस ए का कारण (reason of hepatitis A) :
हेपेटाइटिस ए के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं -
- हेपेटाइटिस ए लीवर में होने वाला एक इंफेक्शन है ।
- यह संक्रमण के कारण फैलता है।
- आपका शरीर किसी भी इंफेक्शन से तभी प्रभावित होता है, जब आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो। इसके कमी से हेपेटाइटिस ए होता है।
- हेपेटाइटिस ए का मुख्य कारण दूषित पेयजल एवं का जूठा खाना है।
हेपेटाइटिस ए के लक्षण (symptoms of hepatitis A):
इसके लक्षण कुछ इस तरह से हैं -
- हेपेटाइटिस ए के लक्षण तेज बुखार आना आंखों के नीचे पीलापन आना और साथ ही साथ मूत्र का गाढ़ा हो जाना इसके मुख्य लक्षण है।
- हेपेटाइटिस से ग्रसित 100 में से 1 मरीज को लीवर फेल की समस्या हो सकती है और यह जानलेवा साबित हो सकता है।
हेपेटाइटिस ए से बचाव के तरीके (happtites prevention):
इसके बचाव के तरीके निम्नलिखित हैं -
- हेपेटाइटिस ए के बचाव के लिए हेपेटाइटिस ए का टीका लगवाना सर्वोत्तम है।
- हेपेटाइटिस ए का वायरस दूषित पानी और खाने के जरिए मनुष्य के शरीर में आता है। इस रोग के बचाव के लिए बाहर से लाए खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह से धोएं और फिर उसका इस्तेमाल करें।
- इसके साथ ही साथ अपने हाथों को 45 सेकंड तक साबुन से धोएं।
11. फ्लू / इनफ़्लुएंज़ा (Flu)
Flu Prevention rainy season |
फ्लू का कारण (causes of flu) :
फ्लू के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं -
- फ्लू का मुख्य कारण इनफ्लुएंजा वायरस है।
- पहले से ही फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से दूसरे व्यक्ति में फ्लू का संक्रमण आ सकता है।
- पर्याप्त नींद न लेने और थकावट के बढ़ने से फ्लू की समस्याएं जन्म लेती है।
फ्लू के लक्षण (symptoms of flu) :
बारिश के मौसम में फ्लू होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं -
- फ्लू के लक्षण में खांसी और जुकाम होना स्वाभाविक है।
- इसके अलावा गले में परेशानी, तेज बुखार, मांस पेशियों में दर्द और सिर में तीव्र दर्द होता है।
फ्लू से बचाव के तरीके (Flu prevention) :
फ्लू से बचाव के घरेलू उपाय या तरीके निम्नलिखित हैं -
- फ्लू से ग्रसित होने पर कम से कम 45 सेकेंड तक साबुन से हाथ धोएं।
- ऐसे समय में अधिक से अधिक फलों के जूस, हल्दी वाला दूध, सूप तथा नींबू और आंवले के रस का सेवन करें।
- इसके अलावा छींकते या खांसते समय समय प्रयोग जरूर करें।
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बीमारियों से बचने के लिए बारिश के मौसम में बढ़ते अनेक सावधानियां (Precautions to be taken during rainy season in Hindi)
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दोस्तों ! जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि बारिश के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए आपको अपने खान-पान एवं सेहत का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। बारिश के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए स्पेसलिस्ट द्वारा बताए गए कुछ सावधानियां निम्नलिखित हैं -
- बारिश के मौसम का आनंद लेने के साथ-साथ हमें हमारे शरीर को स्वस्थ रखना बहुत ही जरूरी है। इसके लिए हमें हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षमता का ध्यान रखना चाहिए।
- हमारी सेहत को तरोताजा रखने के लिए हरी सब्जियों का अत्यधिक सेवन करना चाहिए।
- अगर आप बारिश के मौसम में भीग जाते हैं तो तुलसी और अदरक वाली चाय का उपयोग करें। यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगी और आपको रोगों से बचाएगी।
- बारिश के मौसम में जितना जरूरी खान-पान का ध्यान रखना है उससे कई ज्यादा जरूरी है कि हमें हमारी साफ-सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए।
- इसके अलावा बरसात के मौसम में ध्यान रखें कि हमारे आसपास के क्षेत्रों में कीटनाशक दवा का छिड़काव हो। इसका हमें ध्यान रखना चाहिए जिससे हम अनेक बीमारियों से बचे रहें।