हमारे शरीर में 70% जल पाए जाते हैं, अर्थात देखा जाए तो हमारे शरीर में जल की उपलब्धता अन्य तत्वों की अपेक्षा अधिक है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है क्योंकि जल हमारे वृद्धि एवं विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक साधन है। ऐसे में जब हम जल ग्रहण करते हैं तो उसका शुद्ध होना भी आवश्यक हो जाता है। आइए जानते हैं पीने के पानी में कौन कौन से खनिज पदार्थ उपस्थित होते हैं एवं उनसे क्या फायदे एवं नुकसान हो सकते हैं?
पीने के पानी में खनिज पदार्थ की उचित मात्रा कितनी होनी चाहिये? (How much minerals should be in drinking water?)
औसतन, पीने के पानी में कैल्शियम और मैग्नीशियम की सामग्री 20-30 मिलीग्राम/लीटर कैल्शियम और 10 मिलीग्राम/लीटर मैग्नीशियम से मिलती है जो कि स्वास्थ्य लाभ के लिए महामारी विज्ञान अनुसंधान द्वारा सुझाई गई है।पीने के पानी में किन-किन mineral substance की अधिकता होती है? इस विषय पर वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण शोध किए हैं एवं इसके अतिरिक्त उन्होंने इसके गुणवत्ता के लिए मापदंडों की अनिवार्यता भी घोषित की है। पानी पीने के कई महत्वपूर्ण फायदे होते हैं जिससे हम अपने सेहत को स्वस्थ एवं सक्रिय रख सकते हैं। पीने के पानी में रंग, गंध एवं स्वाद का एक अच्छा तालमेल होना आवश्यक है। पीने योग्य पानी में कुछ विशेष एवं अच्छे गुणवत्ता वाले तत्व होना आवश्यक है ताकि हमारे शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।
खनिज जल का महत्व एवं उनके स्रोत
हमें भूमिगत स्रोतों से ही खनिज जल प्राप्त होता है। जिस जल में खनिज पदार्थों की उपलब्धता होती है, वह हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती है। पीने के पानी में उपस्थित खनिज, औषधीय गुणों से भरपूर होता है। वास्तव में देखा जाए तो खनिज जल को ग्रहण करने से शरीर में कई प्रकार से लाभ होता है। कई बार खनिज की उपस्थिति, पीने के पानी के स्वाद को बदल देती है एवं औषधीय लाभ भी प्रदान करती है।पीने के पानी में कौन से खनिज होने चाहिए? और उनके लाभ (Which mineral water good for health?)
खनिज जल मुख्य रूप से प्राकृतिक खनिज युक्त झरनों अथवा अन्य स्रोतों से प्राप्त होता है। मिनरल जल में पाए जाने वाले खनिज पदार्थ की सूची में कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर, मैंगनीज, सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, जिंक, फास्फेट आदि शामिल होते हैं। इन खनिज तत्वों के द्वारा ही शरीर को पीने योग्य पानी प्राप्त होता है। जल ग्रहण करने के वक़्त इन खनिज तत्वों की बहुलता होने से शरीर हमेशा स्वस्थ रहता है।
पीने के पानी में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज पदार्थ और उनका लाभ
कैल्शियम (calcium)
पीने के पानी में उपस्थित कैल्शियम सभी प्रकार से लाभकारी होता है। पीने के पानी में कैल्शियम के मौजूदगी से कमजोर एवं पथरी हड्डियां मजबूत होती हैं एवं दिल की कमजोरी से संबंधित रोग को ठीक करने में काफी लाभ पहुंचता है। इसके अलावा गुर्दे में होने वाली पथरी एवं महिलाओं के मासिक धर्म के द्वारा होने वाले कई रोगों के उपचार में भी यह काफी महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए जल में कैल्शियम की मात्रा होना अत्यंत आवश्यक होता है।सल्फर (sulphur)
सल्फर औषधि के रूप में कार्य करता है। इसका प्रयोग प्राचीन समय से किया जाता आ रहा है एवं आज भी किया जाता है। यदि पीने के पानी में सल्फर की मात्रा मौजूद हो तब उसके सेवन से सूजन से संबंधित विकार खत्म हो जाते हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की बीमारियों से रोकथाम के लिए भी सल्फर का प्रयोग किया जाता है।मैग्नीशियम (magnesium)
पीने के पानी में मैग्नीशियम की उपस्थिति भी आवश्यक होती है। इससे विभिन्न रोगों जैसे हाई ब्लड प्रेशर माइग्रेन एवं दिल से संबंधित बीमारियों को कम करने में भी लाभ पहुंचता है। अतः यह आवश्यक है कि पीने के पानी में मैग्नीशियम की उपस्थिति हो।आजकल पीने योग्य पानी के व्यापार में लगातार वृद्धि होती जा रही है, परंतु सही मायने में देखा जाए तो पीने योग्य पानी में कई ऐसे तत्वों का मिश्रण होता है जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। आजकल कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पीने के पानी में औषधीय एवं विषैले तत्वों से मिले होते हैं। कई देशों में पीने के पानी में मिले कुछ खतरनाक तत्वों के कारण लोगों को जल से जुड़े रोगों का सामना करना पड़ रहा है।
पीने योग्य पानी का टीडीएस क्या है? (What is TDS found in drinking water?)
अपने कई बार पानी में टीडीएस की मात्रा के बारे में सुना होगा, हम इस लेख के माध्यम से आपको बताने वाले हैं की टीडीएस क्या है और पीने के पानी में टीडीएस की कितनी मात्रा होनी चाहिए?
पीने का पानी एक अच्छा विलायक होता है जिसके कारण इस में गंदगी भी आसानी से घुल जाते हैं। बेस्वाद बेरंग और बिना गंध के पानी ही शुद्ध माना जाता है लेकिन आज प्रायोगिक तौर पर देखा जाए तो यह संभव नहीं है। पानी को यूनिवर्सल सॉल्वेंट (universal solvent) भी कहते हैं। पानी में पूरी तरह से घुलने वाले ठोस पदार्थों की मात्रा को ही टीडीएस के रूप में जाना जाता है।कुछ अकार्बनिक लवण जैसे कैल्शियम, सोडियम, बाइकार्बोनेट, क्लोराइड, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सल्फर आदि की मात्रा टीडीएस में उपस्थित रहती है। इसके अलावा कम मात्रा में कार्बनिक पदार्थ जैसे नाइट्रेट भी इसमें पाए जाते हैं। टीडीएस प्राथमिक प्रदूषक नहीं है लेकिन इसके बावजूद भी पीने के पानी में इसकी मात्रा देखने को मिलती है।
पीने योग्य पानी का प्रतिशत (percentage of quality Drinking water)
पृथ्वी की सतह पर जितना जल है, उसमें से 97% जल समुद्र और महासागर का जल है। जिसमें नमक की मात्रा बहुत अधिक है। बाकी 2.4% ग्लेशियरों और दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव में बर्फ के रूप में जमा हुआ है। केवल 0.6% जल ही पीने योग्य है जो कुआं, झील, तालाब आदि से प्राप्त होता है। उसके बाद भी आबादी की समस्या खड़ी हो जाती है। इतनी आबादी में शुद्ध जल प्राप्त करना बहुत कठिन हो गया है।
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जल की अशुद्धि के कारण
इसके अलावा अधिकतर क्षेत्रों में पीने योग्य पानी को दूषित है जिसका मुख्य कारण रोगाणु, परजीवी और नालों से बहने वाले कूड़े करकट (garbage) है। जिसके कारण हमें शुद्ध जल प्राप्त नहीं हो पाता है। इसीलिए पानी को उपयोग करने से पहले उसे फिल्टर करना आवश्यक होता है। इसके अलावा जल को उबालकर भी पीना जरूरी होता है ताकि सभी अशुद्धियां दूर हो जाएं। उसके बाद ही पीने का पानी सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।एक रिपोर्ट के अनुसार 2006 में दिए गए कुछ आंकड़ों में बताया गया है कि जल से होने वाली बीमारियों से प्रति वर्ष 1.8 मिलियन लोगों की जानें जाती हैं। वहीं 1.2 मिलियन लोग दूषित पानी का सेवन कर रहे हैं।
बोतलबंद पानी कितना सुरक्षित है? (Bottled water good for health or not?)
Bottled water good for health or not? |
आंकड़ों के मुताबिक आज पूरी दुनिया में विभिन्न प्रकार के गुणवत्ता वाले पीने के पानी को बोतल में बंद करके बेचा जा रहा है। विकसित हो या विकासशील देश, सभी में बोतल बंद पानी की खरीद बिक्री की दर काफी तीव्र हुई है।
यूरोपीय संसद एवं 23 अक्टूबर 2000 कि परिषद का डायरेक्टिव 2000/ 60 /इसी को तैयार किया गया। इसे वाटर फ्रेमवर्क डायरेक्टिव भी कहा जाता हबिना बोतल बंद पानी के दुष्प्रभाव को जाने आज के दिनों में ज्यादातर लोग इस पानी को ही उपयोग करना पसंद करते हैं। शोध के द्वारा वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि आधा लीटर बोतल बंद पानी पीने वाला व्यक्ति हर एक वर्ष लगभग प्लास्टिक के 5000 सूक्षतम कण गृहण कर लेता है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आज के समय में मनुष्यों के स्वास्थ्य पर किस प्रकार यह बोतलबंद पानी प्रभाव डाल रहा है।
बोतलबंद पानी के व्यवसाय की शुरुआत सर्वप्रथम 1845 में पोलैंड के मैनी शहर में हुई थी। उस समय से आज तक कई हजारों लाखों कंपनियां इस व्यवसाय में लगी हुई है। अकेले भारत में सिर्फ बोतलबंद पानी से 15,000 करोड़ों रुपयों का व्यापार किया जाता है। आने वाले समय में तो इसका आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। कई जगहों में तो नल से आने वाली पानी को एक नए बोतल में भरकर उसे ऊंचे दामों में बेचा जाता है और आश्चर्य की बात तो यह है कि लोग उसे खरीदते भी हैं बिना यह जाने कि पानी कितना शुद्ध है।
पानी की गुणवत्ता को टीडीएस टोटल सॉलिड द्वारा मापा जाता है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि पानी में मिनरल्स की मात्रा कितनी है। इसकी मात्रा पानी में कम होने से पानी का स्वाद मीठा हो जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि लोग बोतलबंद पानी का अधिकाधिक प्रयोग करें। टीडीएस की मात्रा ढाई से साढ़े तीन के बीच ही उत्तम मानी जाती है। इसमें 200 से 300 की रेंज होती है एवं डेढ़ सौ से 130 मिनट की मात्रा बहुत कम होती है। इसे मीठा बनाने के लिए 180 से भी कम कर दिया जाता है। ऐसे टीडीएस की मात्रा को कम करने से बॉडी के हार्मोन ठीक तरीके से सक्रिय नहीं हो पाते और भविष्य में हानिकारक रोगों को उत्पन्न करते हैं।
बोतल बंद पानी में किए जाने वाले प्लास्टिक के निर्माण के लिए 20 चैनल जैसे पदार्थों का उपयोग किया जाता है और यही बिस्फेनॉल बोतल में भरे पानी के साथ मिलकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर खतरनाक रोगों को उत्पन्न करता है।
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मिनरल वाटर पीने के नुकशान (Disadvantage of mineral water)
मिनरल वाटर पीने से शरीर में लाभ पहुंचता है बहुत अधिक मात्रा में मंडल की मात्रा होने से हमारे स्वास्थ्य पर कुछ हद तक नुकसान पहुंचता है। वैसे इसकी कीमत काफी अधिक होती है। क्योंकि mineral water जल स्रोतों से प्राप्त किया जाता है जिसके कारण यह शुद्ध माना जाता है।